उत्तर प्रदेश

विद्युत विभाग के निजीकरण पर रोक लगाने हेतु राज्यपाल को भेजा ज्ञापन

हमीरपुर:- उत्तर प्रदेश में विद्युत विभाग के निजीकरण के खिलाफ शिवसेना के उप प्रदेश प्रमुख रतन ब्रह्मचारी ने महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर निजीकरण पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस पर विचार नहीं किया तो शिवसेना उग्र आंदोलन करेगी।
शिवसेना प्रमुख रतन ब्रह्मचारी ने ज्ञापन में बताया कि सरकारी राजस्व का नुकसान: विद्युत विभाग राज्य सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत है। निजीकरण के बाद यह राजस्व निजी कंपनियों के हाथों में चला जाएगा, जिससे सरकार को आर्थिक नुकसान होगा।
तकनीकी दक्षता में कमी: विद्युत विभाग के संचालन में अनुभवी इंजीनियरों की जगह आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति की जा रही है, जिन्हें तकनीकी कार्यों का पर्याप्त अनुभव नहीं है। इससे विभाग की कार्यप्रणाली प्रभावित होगी। सस्ती बिजली का संकट: निजीकरण के बाद बिजली महंगी हो जाएगी, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग प्रभावित होंगे। इससे 50% आबादी विद्युत कनेक्शन से वंचित हो सकती है, जिससे प्रदेश की प्रकाश एवं संचार व्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा, सरकारी योजनाओं पर असर: सरकार की ‘हर घर बिजली’ योजना निजीकरण के कारण मज़ाक बनकर रह जाएगी, क्योंकि निजी कंपनियां केवल मुनाफे को प्राथमिकता देंगी। शिवसेना ने आंदोलन की चेतावनी देते हुए कहा कि अगर विद्युत विभाग के निजीकरण पर रोक नहीं लगाई गई तो शिवसेना चरणबद्ध आंदोलन करेगी, राज्यपाल को ज्ञापन देने के बाद प्रदेश के सभी क्षेत्रों—दक्षिणांचल, पूर्वांचल, मध्यांचल और पश्चिमांचल में धरना-प्रदर्शन किए जाएंगे। 15 दिनों के भीतर मांगें नहीं मानी गईं तो विधानसभा का घेराव किया जाएगा और फिर जेल भरो आंदोलन’ की शुरुआत होगी।
अंततः प्रत्येक जिला मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन अनशन किया जाएगा। रतन ब्रह्मचारी ने कहा कि शिवसेना विद्युत कर्मचारियों और आम जनता के हित में संघर्ष जारी रखेगी। यदि सरकार जल्द ही सकारात्मक निर्णय नहीं लेती, तो यह आंदोलन और उग्र रूप लेगा। ज्ञापन देने वालों में अशोक कुमार तिवारी जिला प्रभारी, जागेश्वर सिंह विधानसभा प्रभारी, कमलेश कुमार गुप्ता जिला प्रमुख, रामकरण बजेहटा, सत्येंद्र अवस्थी जिला संपर्क प्रमुख हमीरपुर आदि शामिल रहे।

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