उत्तर प्रदेश

भारत में हर वर्ष मनाए जाने वाला राष्ट्रीय सुरक्षित दिवस मनाया गया

फतेहपुर भारत में हर वर्ष मनाया जाने वाला राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस सभी महिलाओं के लिए सुरक्षित, गरिमामय और सुलभ मातृ देखभाल सुनिश्चित करने की आवश्यकता को उजागर करता है। आज जिला कार्यक्रम अधिकारी बाल विकास पुष्टाहार विभाग साहब यादव के नेतृत्व में जनपद की समस्त परियोजनाओं अंतर्गत आँगनबाड़ी केंद्रों में पोषण पखवाड़े के साथ राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का आयोजन किया गया जिसमें किशोरी बालिकाओं , गर्भवती एवं धात्री माताओं को आयरन की गोलियाँ ,सेनेटरी पैड , टी० एच ० आर ० आदि के वितरण के साथ ही सुरक्षित मातृत्व विषय पर जानकारी दी गई। बाल विकास परियोजना बहुआ की मुख्य सेविका शारदा वर्मा ने बताया की उन्होंने ग्राम नहर खोर आँगनबाड़ी केंद्र में लगभग साठ से अधिक महिलाओं को एकत्र कर आँगनबाड़ी कार्यकत्री   प्रभा तिवारी , चित्र लेखा एवं आशा बहु उषा देवी  के सहयोग से लाभार्थियों के साथ समुदाय के अन्य लोगों को भी नारे ,समूह चर्चा ,रंगोली बना कर  जागरूक करने का पूर्ण प्रयास किया।  इसी प्रकार भिटौरा में बाल विकास परियोजना अधिकारी माधुरी कुमारी के नेतृत्व में किशोरी बालिकाओं को स्वास्थ्य केंद्र में आयरन की गोलियां एवं सेनेटरी पैड आदि का वितरण किया। वरिष्ठ  सलाहकार एवं कार्यक्रम अधिकारी तकनीकी क्रियान्वयन इकाई – जीवन के प्रथम 1000 दिवस परियोजना फतेहपुर  अनुभव गर्ग ने बताया की यह एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय अभियान है जिसका उद्देश्य मातृ स्वास्थ्य के महत्व के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाना है। हालाँकि मातृ मृत्यु दर में कुछ हद तक कमी आई है, लेकिन ग्रामीण और वंचित समुदायों की कई महिलाएं आज भी समय पर गुणवत्तापूर्ण देखभाल से वंचित हैं। ऐसे में यह दिन नीति-निर्माण, जनभागीदारी और समुदाय-सक्रियता के लिए एक अहम मंच बन जाता है।  जिला कार्यक्रम अधिकारी , बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग साहब यादव द्वारा बताया गया की भारत जैसे विशाल देश में, जहां विज्ञान और तकनीक में निरंतर प्रगति हो रही है, वहीं कुपोषण अब भी एक गंभीर और जटिल सामाजिक संकट बना हुआ है. यही वजह है कि सरकार ने वर्ष 2018 में ‘पोषण अभियान’ की शुरुआत की थी, ताकि महिलाओं, बच्चों और पूरे परिवार को उचित पोषण सुनिश्चित किया जा सके. इस मिशन की एक महत्वपूर्ण पहल है पोषण पखवाड़ा, जो हर साल एक व्यापक जन-जागरूकता अभियान के रूप में मनाया जाता है।  बाल विकास परियोजना अधिकारी बहुआ एवं शहरी रवि शास्त्री ने बताया की शिशु के जन्म से पहले के 9 महीने और उसके जीवन के पहले दो साल — यानि कुल 1,000 दिन — बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास की नींव रखते हैं. पोषण अभियान इन दिनों को ‘जादुई काल’ मानता है और माताओं को संतुलित आहार, उचित देखश

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