उत्तर प्रदेश

हवेली दरवाज़ा के गुमनाम बलिदानियों को कलाकारों द्वारा दी गई श्रंद्धाजलि

महोबाl इतिहास में पहली बार किसी नाटक के मंचन से जिले की सच्ची कहानी को उजागर किया गया l संदीप द आर्ट ग्रुप के कलाकार के माध्यम से ये कार्यक्रम दिखाया गया l 1857 में शहर के हवेली दरवाज़ा मैदान में अंग्रेजों ने जिले के 16 क्रांतिकारियों को इमली के पेड़ों से लटका के फांसी की सजा दी थी
आज भी इस विषय में बहुत कम लोग जानते है l इस सच्ची घटना को कलाकारों ने अपने नाटकीय मंचन के माध्यम से दिखाया l ये विशेष कार्यक्रम जिले वासियों के सहयोग से संपन्न हुआ l संदीप चंदेल ने बताया कि पिछले 2 सालों से वो इस कार्यक्रम और घटना के लिए जानकारी जुटा रहे है
और इस वर्ष शहीद दिवस के मौके पर 23 मार्च को इस नाटक का मंचन किया गया l नाटक में प्रमुख भूमिका में संदीप चंदेल ,रूपेंद्र कुशवाहा ,राकेश ,शोभा राजा ,देवास विश्वकर्मा ,रोशन नामदेव ,लोकेंद्र ,रितेश ,रामदीन , स तीश ,नितेश ,शंकर ,योगेश ,
सपना ,पायल ,निकिता ,पूजा
रही l मंच की देखभाल राजकुमार साहू और कुलदीप और पंकज तिवारी ने की l साथ ही अच्छे कलाकारों के माध्यम से सांस्कृतिक कार्यक्रम भी दिखाए गए और मंच का सफल संचालन अंचल सोनी ने किया l

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