उत्तर प्रदेश

नगर परिषद से हटाकर वापस की जाएं हमारी पंचायतें-पब्लिक डिमांड

नगर परिषद मानपुर के लोग अब नप में व्याप्त अनियमितताओ से तंग आकर वापस से ग्राम पंचायत बनाने की मांग करने लगे है। विदित हो कि लोगों की मांग पर ग्राम पंचायत मानपुर को नगर परिषद में तब्दील कर इसका उन्नयन कर दिया गया था और सरकार ने विकास की इस कड़ी को जोड़ते हुए ग्राम पंचायत मानपुर को नगर परिषद का दर्जा शायद यही सोच कर दिया होगा कि यहां की आबादी बहुत बड़ी है पर नप के रहवासी आज भी उन मुख्य सुविधाओं से महरूम हैं जो कि उन्हें अनिवार्यतः मिल जानी चाहिए। यहां के नागरिकों को ज्यादा और बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने की सरकार की मंसा पर नप के जिम्मेदार ही पानी फेरते नजर आ रहे हैं बता दें कि नगर परिषद मानपुर को अस्तित्व में आए हुए ढाई वर्ष होने को हैं लेकिन आज भी यहां के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए दर-दर भटक रहे हैं,उनकी सुध लेने वाला कोई भी नहीं हैं। बिजली,पानी,सड़क,बस-स्टैंड,पार्क, सुलभ शौचालय,पीएम आवास, वृद्धावस्था पेंशन,आदि समस्याओं को लेकर नगर परिषद के रहवासी आए दिन परिषद के चक्कर काटते रहते हैं लेकिन परिषद् के जिम्मेदार यह कहकर उन्हें टाल देते हैं की जल्द ही आपकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा और वह घड़ी नहीं आ पाती जब उन्हें अपनी दिक्कतों का हल मिल सके

लचर स्वच्छता व्यवस्था

देश के प्रधानमंत्री जी जहां देश भर में स्वच्छता का संदेश बांट रहे हैं और खुद ही झाड़ू उठा कर लोगों को सफाई के लिए प्रेरित कर रहे हैं ताकि एक स्वच्छ और समृद्ध भारत का निर्माण हो सके लेकिन यहां पर सब बेमानी ही नजर आता है। हालांकि साफ सफाई की समुचित व्यवस्था बनाने रखें बनाने की गरज से नगर परिषद में घर-घर कचरा संग्रहण वाहन की व्यवस्था की गई, किंतु नप मानपुर की स्वच्छता व्यवस्था को जैसे जंग सा लगा जा रहा है क्योंकि नगर परिषद मानपुर के स्वच्छता प्रभारी हर गोविंद चतुर्वेदी को नगर के स्वच्छता निरीक्षक सहित दर्जनों प्रभार भी सौंप दिए गए हैं आलम यह है कि नागरिकों की ढेरों शिकायत के बावजूद भी स्वच्छता प्रभारी अपनी मस्ती में मस्त हैं और स्वच्छता जैसे महत्वपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी पर ध्यान नहीं दे रहे है परिषद के सफाई कर्मचारी तो कई बार श्री चतुर्वेदी के कार्य व्यवहार के ऊपर गंभीर आरोप लगा चुके हैं और काम बंद हड़ताल तक भी कर चुके हैं लेकिन फिर भी इन्हें यहां से हटाने की जहमत नहीं उठाई जा रही जिसे बेखौफ होकर वे नगर की स्वच्छता को पलीता लगा रहे हैं।

लोग कर रहे नप से पृथक कर वापस पंचायत बनाने की मांग

नगर परिषद अंतर्गत सेमरा,सेमरी,हंचौरा,खिचकीडी, बैगाव,डंडी टोला,गोवदे् ,सिगुडी के रह वासियों ने नगर परिषद की कार्य प्रणाली पर गंभीर आरोप लगाते हुए अपने ग्रामों को नगर परिषद मानपुर से हटा कर पुनः ग्राम पंचायत बनाने की मांग कर रहे हैं इनका आरोप है की नगर परिषद मानपुर द्वारा हमारे ग्रामों में अब तक कोई भी विकास के कार्य नहीं किए जा सके ढाई वर्षो में जितना भी काम हुआ है इतना तो ग्राम पंचायत स्तर में भी होता था नियमित साफ सफाई और बिजली व्यवस्था न तो पहले ग्राम पंचायत स्तर से थी और न अब नगर परिषद से है समग्र आई डी,पेंशन,आवास, जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र आदि के लिए हमें 10 किलोमीटर दूर नगर परिषद तक आना पड़ता है और वहां भी एक बार जाने में कोई काम नहीं हो पाता क्योंकि शासन द्वारा कई ग्रामों को जोड़कर नगर परिषद तो बना दिया गया लेकिन आज दिनांक तक नगर परिषद में स्थाई कर्मचारी की जगह पूरी नहीं की गई आउटसोर्स के द्वारा जो भी कर्मचारी इन महत्वपूर्ण कार्यों को देख रहे हैं उनको पूर्व से इन कार्यों का अनुभव न होने के कारण जनता को कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।

पांच सीएमओ बदले फिर भी नहीं बदली नगर की तस्वीर

नगर परिषद में 5 सीएमओ ने इस बीच पदभार ग्रहण किया और किसी न किसी कारण से उन्हें हटा भी दिया गया। आलम यह है कि यहां नप के आधे कार्यकाल यानी ढाई वर्ष के भीतर ही 5 सीएमओ को बदले गए जिनमें सर्वप्रथम पहले शशि कुमार गढ़पाले फिर आभा त्रिपाठी,लाल जी तिवारी, बीएस पेंदो्,और अब राजेंद्र कुशवाहा, यहां सीएमओ के रूप में पदस्थ हूए लेकिन नगर के विकास की रफ्तार को पटरी पर नहीं ला सके विकास के नाम पर वाहनों की ताबड़तोड़ खरीदी पूर्व पंचायत कालीन कर्मचारी को रखना और हटाना ही मात्र परिषद का प्रमुख एजेंडा रहा वैसे तो अपने ढाई साल के कार्यकाल में नगर परिषद मानपुर किसी न किसी मामले को लेकर बहु चर्चित रही लेकिन यहां के नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने की ओर ना तो सत्ता पक्ष ध्यान दे पाया ना ही विपक्ष।

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