चंडीगढ़ आएंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: ट्रैफिक पुलिस ने किया रूट डायवर्ट
चंडीगढ़। एक जुलाई 2024 को देशभर में तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हुए पांच महीने बीत चुके हैं लेकिन अभी तक कई स्तर पर नए कानूनों के मुताबिक कार्रवाई शुरू नहीं हो सकी है। पुलिस स्तर पर सभी तरह के कार्य लगभग पूरे कर लिए गए हैं, लेकिन अदालत के स्तर पर होने वाली ई-सम्मनिंग और ई-गवाही शुरू करने का इंतजार हो रहा है। तीन दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ई-गवाही और ई-सम्मनिंग का भी श्रीगणेश कर शुभारंभ करेंगे। पेक में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री तीन नए कानूनों की समीक्षा करेंगे और चंडीगढ़ पुलिस को अपने स्तर पर होने वाली कार्रवाई को देश में सबसे पहले 100 प्रतिशत लागू करने पर रिटर्न गिफ्ट भी देंगे। इस कार्यक्रम की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं।
प्रधानमंत्री के सामने यूटी पुलिस की ओर से मॉडल के तौर पर कुछ पुलिसकर्मियों की ओर से नए आपराधिक कानूनों के तहत काम करने वाले इंटरऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस) के विभिन्न स्तंभों और उनके एकीकरण पर लाइव प्रदर्शन दिखाया जाएगा। पुलिस जवानों की ओर से डेमो के जरिए दिखाया जाएगा कि किस तरह किसी भी घटनास्थल पर पहुंचकर नए कानूनों के तहत ई-साक्ष्य कैसे एकत्र किए जाते हैं। इसके साथ ई-साक्ष्य के तहत डिजिटल साक्ष्यों को एप के माध्यम से संकलित कर उन्हें क्लाउड पर स्टोरेज करने के लिए ई-साक्ष्य का प्रयोग कर दिखाया जाएगा। एसएसपी कंवरदीप कौर प्रधानमंत्री के सामने लाइव डेमो के जरिए तीन कानूूनों के बारेे में जानकारी देंगी।
पुलिस के आईटी एक्सपर्ट अधिकारी ने बताया कि नए कानून के तहत भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में किसी भी अपराध से संबंधित सबूत को डिजिटल रूप में संकलित एवं सुरक्षित करने का प्रावधान है। इस एप को पुलिस जांच अधिकारी अपने मोबाइल पर इंस्टॉल कर घटना से संबंधित साक्ष्यों को डिजिटल फार्म में रिकॉर्ड कर सकते हैं। सभी प्रकार के सर्च एवं सीजर की वीडियोग्राफी भी इस एप से की जाती है। वीडियो की हैस वेल्यू उसी समय निकाली जाएगी और अदालत पहुंचने तक इसे सुरक्षित रखा जाएगा। इसके साथ इस एप पर संकलित साक्ष्यों को सीधे क्लाउड पर डाल दिया जाएगा। ऐसे में सुरक्षित डिजिटल साक्ष्यों से किसी प्रकार की छेड़खानी नहीं की जा सकती है और पारदर्शी तरीके से अनुसंधान का मार्ग प्रशस्त होगा।
जबकि ई-सम्मन के जरिए पुलिस या कोर्ट से अब आरोपी या गवाह को सम्मन भी एप के जरिए मोबाइल नंबर पर भेजा जाना है। इसमें सम्मन कर्मी को खुद मौके पर न जाकर वह व्यक्ति को ई-सम्मन मोबाइल पर ही रिसीव करवा सकेगा और वह अदालत में मान्य भी होगा। इससे न केवल समय की बचत होगी बल्कि खर्च भी बचेगा। ई-सम्मन का रिकॉर्ड ऑनलाइन अपलोड का कार्य काफी तेजी से चल रहा है लेकिन यह प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हो पाई है। इसके साथ ही ई-सेतु में डैश बोर्ड बनाया गया है जिसमें एफआईआर दर्ज करवाने वाले व्यक्ति को पुलिस, जेल, अदालत, अस्पताल व सीएफएसएल से संबंधित जानकारी डायरेक्ट मिल जाती है। शिकायतकर्ता एप के जरिए यह भी देख सकता है कि उसकी फाइल या सीएफएसएल में भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट किस स्तर पर पेंडिंग है जबकि न्याय श्रुति के जरिए वीडियो कांफ्रेंसिंग में लोग अदालत जाने से डरते हैं, वह देश के किसी भी कोने में बैठकर निर्धारित जगह से कोर्ट में अपनी गवाही दर्ज करवा सकता है। गवाह अब बिना किसी डर के अपनी गवाही दे सकता है और इसके लिए उसे कोर्ट जाने की भी जरूरत नहीं है। लोग सुबह 9 बजे अदालत जाते हैं और गवाही देने के बाद शाम 5 बजे के बाद वापस आते हैं लेकिन इस एप से यह झंझट खत्म होगा। ई-गवाही के लिए यूटी सभी थानों के अलावा तहसील, एसडीएम कार्यालय, नागरिक अस्पताल में वीडियो कांफ्रेंसिंग रूम पहले ही तैयार किए जा चुके हैं लेकिन अभी तक किसी भी मामले में नए कानूूनों के तहत ई-गवाही शुरू नहीं पाई है। इसके चलते लोगों को अभी पुराने मैनुअल तरीके से गवाही देनी पड़ रही है केवल जेलों में बंद आरोपियों की ही वीडियो कॉन्फ्रेेंसिंग के जरिए अदालत में सुनवाई हो रही है।