जीवन में धर्मध्यान ही पुण्य का कारण : आचार्यश्री
श्रद्धालुओं ने भगवान पाश्र्वनाथ चन्द्रप्रभु का जन्म एवं तप कल्याणक प्रभु अभिषेक कर मनाया
ललितपुर। जैन अटा मंदिर में आचार्यश्री विषद सागर ने कहा जीवन में धर्मध्यान ही पुण्य का कारण है। उन्होने सिद्धों की अराधना के पर्व की महिमा का उल्लेख करते हुए कहा कि जहां बोलने से धर्म की रक्षा होती हो प्राणियों का उपकार होता हो वहां विना पूछे ही बोलना और जहां आपका का हित नहीं हो वहां मौन ही रहना उचित कहा है। कहा कि धन कमाना कठिन है और अगवाना बहुत आसान है परन्तु उस धन का भी भरोसा नहीं कब चला जाए एक बात का ध्यान रखना धन केवल परिश्रम से नहीं मिलता, यदि परिश्रम से मिलता तो मजदूर सबसे ज्यादा धनी होता वह तो कोल्हू का बैल जो दिन भर परिश्रम करता वह भी धनी होता परन्तु ऐसा नहीं होता क्योंकि धनार्जन के लिए भी पुण्य चाहिए। पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन अटा मंदिर में आचार्यश्री विषद सागर महाराज एवं मुनि अविचल सागर महाराज के ससंघ सानिध्य में 23 वे तीर्थंकर भगवान पाश्र्वनाथ एवं चन्द्रपभु का जन्म एवं तप कल्याणक प्रभु अभिषेक कर मनाया। शान्तिधारा का पुण्र्याजन अखिलेश जैन, विजय जैन, मनोज जैन, पवन जैन द्वारा की गई, जिसका वाचन आचार्यश्री द्वारा किया गया। इसके अतिरिक्त नगर के अभिनंदनोदय तीर्थ, जैन बडामंदिर, आदिनाथ मंदिर गांधीनगर, पाश्र्वनाथ समोवशरण मंदिर, पाश्र्वनाथ जैन नया मंदिर, आदिनाथ जैन बडा मंदिर सहित नगर के जैन मंदिरों में भक्तों ने श्रद्धापूर्वक भगवान पाश्र्वनाथ एवं चन्द्रप्रभु का जन्मकल्याणक मनाया। आदिनाथ मंदिर में प्रभु अभिषेक का पुण्र्याजन प्रबंधक सुबोध जैन मडावरा एवं सुनील सराफ ने किया।