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भारत-चीन सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 6 मुद्दों पर सहमति, NSA अजित डोभाल वांग यी से मिले

भारत और चीन ने संबंधों को और सामान्य बनाने की दिशा में अहम पहल की है. दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने पांच साल में पहली बार 18 दिसंबर को विशेष बातचीत की. इस दौरान जमीन पर शांति सुनिश्चित करने के तरीकों और  कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रा को फिर से शुरू करने पर चर्चा हुई.

पीटीआई के अनुसार, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने जमीनी स्तर पर शांतिपूर्ण स्थिति सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि सीमा पर मुद्दे द्विपक्षीय संबंधों के सामान्य विकास में बाधा न बनें. विदेश मंत्रालय ने कहा कि डोभाल और वांग क्षेत्रीय और वैश्विक शांति एवं समृद्धि के लिए स्थिर और सौहार्दपूर्ण भारत-चीन संबंधों की महत्ता पर सहमत हुए.

विशेष प्रतिनिधि वार्ता तंत्र को पुनर्जीवित करने का निर्णय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच 23 अक्टूबर को कज़ान में हुई बैठक में लिया गया था. इसके दो दिन पहले ही भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में डेमचोक और देपसांग में सेनाओं की वापसी के लिए समझौता किया था, जिससे क्षेत्र में चार साल से अधिक समय से जारी सीमा गतिरोध प्रभावी रूप से समाप्त हो गया था.

5 साल बाद हुई विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई वार्ता 5 साल के लंबे अंतराल के बाद संपन्न हुई थी. एसआर वार्ता का पिछला दौर दिसंबर 2019 में नयी दिल्ली में आयोजित किया गया था. वार्ता के लिए भारत के विशेष प्रतिनिधि एनएसए डोभाल हैं, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्री वांग कर रहे हैं, जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य भी हैं.

6 मुद्दों पर बनी सहमति

चीन की विज्ञप्ति में कहा गया है कि डोभाल और वांग यी ने विशेष प्रतिनिधि वार्ता के दौरान सार्थक चर्चा की और छह सूत्री आम सहमति पर पहुंचे, जिनमें सीमाओं पर शांति बनाए रखने और संबंधों के स्वस्थ एवं स्थिर विकास को बढ़ावा देने के लिए आगे भी कदम उठाना शामिल है.

विज्ञप्ति के मुताबिक दोनों पक्षों का  मानना ​​था कि सीमा मुद्दे को द्विपक्षीय संबंधों की समग्र स्थिति के परिप्रेक्ष्य में उचित तरीके से संभाला जाना चाहिए, ताकि संबंधों के विकास पर इसका असर न पड़े.

इसमें कहा गया कि दोनों पक्ष सीमा क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने तथा द्विपक्षीय संबंधों के स्वस्थ और स्थिर विकास को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने पर सहमत हुए.

विज्ञप्ति के मुताबिक दोनों पक्षों ने 2005 में सीमा मुद्दे के समाधान के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों द्वारा सहमत राजनीतिक दिशानिर्देशों के अनुसार सीमा मुद्दे का निष्पक्ष, उचित और परस्पर स्वीकार्य समाधान तलाशने तथा इस प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक कदम उठाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.

इसमें कहा गया कि दोनों पक्षों ने सीमा की स्थिति का आकलन किया और सीमा क्षेत्र में प्रबंधन और नियंत्रण नियमों को और अधिक परिष्कृत करने, विश्वास बहाली के उपायों को मजबूत करने तथा सीमा पर स्थायी शांति और स्थिरता हासिल करने पर सहमति जताई.

इसमें कहा गया कि दोनों देश सीमा पार आदान-प्रदान और सहयोग को मजबूत करने तथा तिब्बत, चीन में भारतीय तीर्थयात्रियों की यात्रा फिर से शुरू करने, सीमा पार नदी सहयोग और नाथूला सीमा व्यापार को बढ़ावा देने पर सहमत हुए.

चीन के विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक दोनों पक्षों ने विशेष प्रतिनिधियों के तंत्र को और मजबूत करने, कूटनीतिक और सैन्य वार्ता समन्वय और सहयोग को बढ़ाने तथा विशेष प्रतिनिधियों की बैठक में लिए गए निर्णयों के अनुवर्ती कार्यान्वयन में चीन-भारत सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) को अच्छा काम करने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की.

दोनों पक्षों ने अगले वर्ष भारत में विशेष प्रतिनिधियों की बैठक का एक नया दौर आयोजित करने पर सहमति जताई और विशिष्ट समय का निर्धारण राजनयिक माध्यमों से किया जाएगा.

डोभाल ने वार्ता के बाद चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की.  डोभाल ने वांग को अगले दौर की विशेष प्रतिनिधि बैठक के लिए पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तिथि पर भारत आने का निमंत्रण भी दिया.

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