वन माफियाओं के आगे बौना साबित हो रहा वनविभाग
बिसवां सीतापुर। एक तरफ़ सरकार विश्व पर्यावरण दिवस मना रही और लोगों से अधिक से अधिक पेड़ लगाने को लेकर जागरुकता अभियान चला रही है। जागरुकता अभियान के लिए जगह जगह स्लोगन लिखवा कर लाखों रुपए खर्च कर रही। वहीं दूसरी और वन विभाग मिल कर पर्यावरण को ही समाप्त करने मे लगा हुआ है। वन विभाग को सिर्फ पैसे दिखाई दे रहे है। इसके अलावा कुछ नहीं। दिन रात विभाग के ही लोग मोटी रकम लेकर कानो में तेल डालकर बैठे है। वह दिन भी दूर नही होगा जब धरती से हरियाली खत्म हो जाएगी और साथ ही इंसानियत भी। पेड़ो की रखवाली के लिए ही सरकार ने वन विभाग बनाया पर इस अंधाधुंध तरीके से यदि पेड़ काटे जाते रहेंगे तो वन विभाग का क्या महत्व रहेगा।आपको बता दें बिसवां वन विभाग इन दिनों सुर्खियों मे बना हुआ है। कही रात के अंधेरे मे तो कही दिन में ही हरे भरे प्रतिबंधित पेड़ों का कटान वन विभाग की मिली भगत से किया जा रहा है।
मामला नंबर एक – सकरन थाना क्षेत्र के कल्ली मे वनविभाग द्वारा 20 पेड़ों का परमिट दिया गया लेकिन ठेकेदार प्रकार कुमार ने 20 पेड़ों के परमिट 60 पेड़ों पर आरा चला दिया जब इसकी सूचना वन दरोगा नरेंद्रपाल को मिली तो आनन-फानन पेड़ों की जडें उखड़वा कर सबूत मिटाने मे जुट गए क्योंकि वन दरोगा को मामा भांजे की यारी को भी देखना था और विभागीय कार्यवाही मे थाना पूर्ति भी करना है। यह क्षेत्र वन दरोगा नरेंद्रपाल की देख रेख में आता है।
चौकी मोहलिया में बीते 18 व 26 दिसम्बर को 16आम 12 जामुन, 3 शीशम व 2 गूलर को 3 ठेकेदारों ने बिना परमिट के काट लिए। शिकायत होने पर वन दरोगा ने केवल 3 आम के पेड़ों पर जुर्माना किया बाकी पेड़ों का कमीशन लेकर मामला रफा दफा कर दिया। इसके बाद ठेकेदारों को जुर्माने की रशीद भी नहीं दी। बीते 21 दिसम्बर को ऊंचगांव में 4 शीशम व 7 जामुन के पेड़, 25 दिसम्बर को बेलवा बसहिया में 12 शीशम, 5 जामुन व 7 आम के पेड़, 16 दिसम्बर को क्योटाना में पूरी आम की बाग करीब 57 पेड़ जिसमे 48 आम, 6 जामुन 3 शीशम के पेड़, रेवान में 22 दिसम्बर को 6 आम, 2 जामुन व 5 शीशम के पेड़, 17 दिसम्बर को कोंसर में 15 आम, 7 जामुन व 3 नीम के पेड़, 19 दिसम्बर को रसूलपुर में 6 आम के पेड़, 2 जनवरी को दुगाना में 9 जामुन व 3 शीशम के पेड़, 9 जनवरी को सकरन में 17 आम, 9 जामुन, 2 शीशम व 1 नीम के पेड़, 13 जनवरी को अम्बाई में 3 शीशम व 2 जामुन के पेड़ काटे गए हैं। करीब एक सप्ताह पूर्व महिलपुरवा में 9 आम के पेड़ काटे गए थे, जिसमे वन दरोगा ने केवल तीन पेड़ों पर जुर्माना करके बाकी पेड़ों का कमीशन लेकर बिना जुर्माने की रशीद दिए ही मामला रफा दफा कर दिया। गजनीपुर, ओड़ाझार, सेमरा, नसीरपुर, अंदुपुर, हसनापुर, बाछेपुर, नेवादा, पारपुरवा, छोटकी गठिया, बिरइपुरवा, उमरा कलां, सुमरावां, लालूपुरवा, पिपरा आदि गांवों में बीते 20 दिनों में सैकड़ों प्रतिबन्धित पेड़ों को वन दरोगा नरेंद्रपाल यादव की मिलीभगत से ठेकेदारों ने कटवाकर लकड़ी मंडी में बेच दी गई हैं। एक ठेकेदार ने बताया कि प्रतिबन्धित पेड़ कटान पर 20 प्रतिशत कमीशन वन दरोगा लेते हैं।
गौरतलब है कि इन अधिकारियों की इतनी शक्त ड्यूटी के बावजूद भी क्षेत्र में कैसे कटान हो रहा है और जब जिम्मेदार अधिकारियों से शिकायत की जाती है तो उनका साफ कहना होता है की जानकारी नही है। चलो हमको मौका दिखाओ हम कार्यवाही करते है इससे पूर्व भी हरे भरे पेड़ो को बिना परमिट के लकड़कट्टो द्वारा बिसवां वन विभाग क्षेत्र में ही काटा गया परंतु कोई कार्यवाही वनविभाग के द्वारा अमल में नहीं लाई गई। जिससे संदेह होता है की कहीं न कहीं इनकी मिलीभगत तो नही है। आखिर कैसे इतनी बड़ी संख्या में पेड़ काटे जाते है नाम न छापने की शर्त पर एक ठेकेडार ने बताया कि वनविभाग में पहले ही मोटा पैसा जमा करा लिया जाता है।
फिर चाहे परमिट बनवाओ या न बनवाओ कोई देखने नही आता है बस पैसा पहुंच जाना चाहिए।
इस संबंध में जब वन क्षेत्र अधिकारी अहमद कमल सिद्दीकी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जानकारी मिली है। संबंधित ठेकेदार से जुर्माना या उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है।