चेयरमैन इरशाद द्वारा मरहूम मौलाना सिराज की याद मे बा यादे क़मर मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया

मुख्य अतिथि प्रमुख सचिव डॉ हरि ओम ने फीता काटकर किया उदघाटन।
हमने बस उसको ही सीने से लगा रखा है,जिसने भारत के तिरंगे को उठा रखा है।
फतेहपुर बाराबंकी। कल रात कस्बा फतेहपुर के सट्टी बाजार ग्राउंड मे स्व मौलाना सिराज अहमद क़मर की याद मे नगर पंचायत फतेहपुर के चेयरमैन इरशाद अहमद कमर द्वारा आल इंडिया मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
मुशायरा मे मुख्य अतिथि के रूप प्रमुख सचिव व्यवसायिक शिक्षा कौशल विकास एवं उद्यशीलता विभा डॉ हरिओम मे उपस्थित रहे,अध्यक्षता पिछले 26 वर्षों से दुबई की सरजमीं पर मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन कर भारत की आजादी का जश्न मनाने वाले सैयद सलाउद्दीन ने की। चेयरमैन इरशाद अहमद कमर ने मेहमानों को बुके एवं बुके देकर स्वागत किया। कार्यक्रम का मुख्य अतिथि प्रमुख सचिव डॉ हरिओम ने फीता काटकर उदघाटन किया।कार्यक्रम मे उत्कृष्ट सामाजिक कार्यों के लिए पंडित अखिलेश चन्द्र शास्त्री,राजेश पाठक को सम्मानित किया गया जबकि स्व सैयद रजी हसन काजमी ‘हसन मियां’ पूर्व चेयरमैन गनी हैदर,स्व एडवोकेट मो जहूर को मरणोपरांत उनके सामाजिक कार्यों के लिए उनके परिजनों को सम्मानित किया गया।मशहूर नाजिम ए मुशायरा प्रोफेसर नैयर जलालपुरी ने की के संचालन में प्रातः काल तक चले मुशायरा व कवि सम्मेलन मे शायरों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर श्रोताओं की वाहवाही लूटी।
अनवर अमान ने पढ़ा – ये कितने सलीके से कर गया कोई, नज़र के रास्ते उतर गया कोई। राजेश विश्वकर्मा – मेरी सारी बलाओं को अपने सिर ले लेती,निकलता मै कभी घर से तो माथा चूमती है मां। ओम शर्मा ओम – खाक मे राज को दबा देंगे, शोर से साज को दबा देंगे,आप सोचेंगे सच को सच बोले, लोग आवाज दबा देंगे। हास्य कवि दमदार बनारसी ने जिस दिन से मेरी बीवी ने धमकाया है मुझे,उस दिन से मैने घर से नीला ड्रम हटा दिया। पढ़कर श्रोताओं को खूब हंसाया। कस्बा फतेहपुर की नुमाइंदा शायरा गुले सबा फतेहपुरी – हालात के बिगड़ने का एहसास तब हुआ,जब लोग मेरे घर के खरीदार हो गए। मनिका दुबे ने पढ़ा – शहर के शोर मे वीरानियां है,यहां तुम हो मगर तन्हाइयां है। शहजादा कलीम ने हिंदू मुस्लिम एकता पर – ये हिंदुस्तान की मिट्टी है यहां तो इक चटाई पर मुसलमान हिन्दू बैठकर कर अफ़तारी करते हैं।पढ़कर श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी। अज्म शाकरी ने पढ़ा – लहू आंखों में आकर जम गया,ये दरिया बहते बहते थम गया। शायर ताहिर फराज – मेरे आंसू अगर तेरी आंखों से मिल जाएं जितने मुरझाए हुए फूल है सब खिल जाएं। को खूब पसंद किया गया। असद नकवी नसीराबाद ने देश भक्ति से ओतप्रोत – हमने बस उसको ही सीने से लगा रखा है,जिसने भारत के तिरंगे को उठा रखा है। पढ़कर श्रोताओं की दाद लूटी।
इसके अलावा डॉ अनु सपन, डॉ नदीम शाद एवं अन्य ने अपना कलाम पेश किया।
इस मौके पर काफी तादाद मे श्रोता उपस्थित रहे।
मुख्यरूप से पूर्व कैबिनेट मंत्री सपा महासचिव अरविंद सिंह गोप,पूर्व मंत्री, विधायक हाजी फरीद महफूज किदवई,पूर्व विधायक रामगोपाल रावत, सुबेहा चेयरमैन चौधरी अदनान,बंकी चेयरपर्सन प्रतिनिधि इमरान खान,जैदपुर चेयरमैन,जिला बार एसोसिएशन अध्यक्ष एड हिसाल बारी किदवई,पत्रकार परवेज अहमद,हसन इब्राहिम काजमी,अजय कुमार वर्मा,हशमत अली गुड्डू,मंसूर खान,सैयद मेराजुद्दीन,सैयद इकबाल महमूद,सैयद अली महमूद,सना मंजूर,मंसूर खान,नोमान शेख,जियाउद्दीन,आदि मौजूद रहे। समापन पर संयोजक डॉ फहीम अंसारी एवं मुकितुर्रहमान ने आए हुए मेहमानों एवं शायरों का आभार प्रकट किया।