एक फरिश्ता लिख गया भारत के संविधान को ….
परिनिर्वाण दिवस पर कवि सम्मेलन सम्पन्न
ललितपुर। संविधान निर्माता डा.भीमराव अंबेडकर बाबा साहब के परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर कौमी एकता की प्रतीक साहित्यिक संस्था हिंदी उर्दू अदवी संगम के तत्वाधान में एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता हास्य कवि किशन सिंह बंजारा ने की। देर रात्रि तक चले कार्यक्रम का संचालन संस्था अध्यक्ष रामकृष्ण कुशवाहा एड. ने किया। उन्होंने बाबा साहब को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि एक फरिश्ता लिख गया भारत की संविधान को, देश गुलाम भुला ना पायेगा बाबा आपके एहसान को। रामस्वरूप नामदेव अनुरागी ने एक शेर पेश करते हुए कहा कि दुनिया में बाबा ने अलग जगह की दिया है, मौका दलित गरीबों की मल्लाहे डूबने नहीं देंगे नौका। अशोक क्रांतिकारी ने रचना पेश करते हुए कहा कि बच्चे मेहमान की तरह जब घर में आती हैं, समंदर सी खुशियों आसमान से गम आंसू बन जाते हैं। कवियत्री सुमनलता शर्मा चांदनी ने कुछ इस अंदाज में शहर पढ़ते हुए कहा कि सबसे से पहले हमें इंसान होना चाहिए, इसके बाद हिंदू मुसलमान होना चाहिए। शृंगार रस के युवा कवि प्रशांत श्रीवास्तव ने रचना पेश करते हुए कहा कि प्रेम के पतरे धागे काहू न इनके आगे, पल-पल लगे मोहे जैसे भोर है भागे जागे। कार्यक्रम संयोजक काका ललितपुरी ने कहा कि बाबा साहब ने अनेकता में एकता का सिद्धांत अपनाया है। झेला झंझावातों को तब ये संविधान बनाया है। कार्यक्रम अध्यक्षता कर रहे किशन सिंह बंजारा ने कहा आजकल अंधे भी शीशा दिखाने लगे, जो आवारा है वह अनुशासन में दिखने लगे। कार्यक्रम में उपस्थित कवियों में कन्हैयालाल, बृजेश श्रीवास्तव आदि ने भी खूबसूरत रचनाएं पेश कर श्रोताओं का मन मोह लिया। इस अवसर पर राजाराम खटीक एड., मनीष कुशवाहा, लीला मां, महेश नामदेव, रामप्रकाश शर्मा, अर्चना गौतम, मीरा देवी आदि उपस्थित रही। अंत में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही अत्याचार को साहित्यकारों ने पुरजोर विरोध करते हुये कड़ी निंदा की और देश के प्रधानमंत्री से अपील की है कि बांग्लादेश से सारे राजनीति आर्थिक रिश्ते समाप्त करके उसे उसकी भाषा में जवाब देना चाहिए।