लखनऊ गौपालन एवं गौसंरक्षण विषय को शैक्षिक पाठयक्रमों में सम्मिलित करने के लिए कार्ययोजना तैयार की जाए

गाय और गाय के दूध के महत्व के प्रति बच्चों को शुरू से ही जागरूक किया जाये
राज्य सरकार ग्रामीण आर्थिक स्वावलम्बन एवं दुग्ध विकास के लिए प्रतिबद्ध
– उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग के कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा है कि बच्चों और युवाओं को गौ, गौ-सेवा और गौपालन के महत्व के संबंध में ज्ञानवर्धन के लिए केजी से पीजी तक के पाठयक्रमों में गौ संरक्षण एवं संवर्धन के विषय को शामिल किया जाए। शैक्षिक दृष्टिकोण के परिप्रेक्ष्य में प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा में सम्मिलित करने के लिए विभागीय अधिकारी संबंधित विभागों से समन्वय स्थापित कर आवश्यक कार्य योजना तैयार करें। सिंह ने कहा कि हमारा यह प्रयास है कि गाय और गाय के दूध के महत्व के प्रति बच्चे शुरू से ही जागरूक हो और गौमाता के प्रति उनमें जागरूकता एवं संवेदनशीलता हो। राज्य सरकार गोसंरक्षण गोआधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने हेतु गौ दुग्ध, गोबर, गोमूत्र के उपयोग के माध्यम से ग्रामीण आर्थिक स्वावलम्बन एवं दुग्ध विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
सिंह ने आज यहां विधान भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में महाकुम्भ, प्रयागराज में गत 08 फरवरी को आहूत बैठक में पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग द्वारा निर्धारित लक्ष्यांे की प्राप्ति के संबंध में वृहद चर्चा की और आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। सिंह ने कहा कि निराश्रित गोवंश के संरक्षण, संरक्षण में आये संघर्षों के समाधान, पशु कल्याण एवं विकास, दुग्ध उत्पादन में वृद्धि तथा पशु स्वास्थ्य एवं संक्रामक रोगों से बचाव के लिए संचालित योजनाओं की रियल टाइम मानीटरिंग की जाए। गौवंशांे को रेडियम बेल्ट पहनाये जाने की योजना को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाए। प्रदेश में ग्राम समाज एवं वन विभाग की भूमि पर हरा चारा का उत्पादन किये जाने की योजना को जमीनी स्तर पर पूर्णरूप से क्रियान्वित कराया जाए।
बैठक में सिंह ने कहा कि गाय के दूध के साथ गोबर एवं गोमूत्र के व्यवसायिक उपयोग के लिए संबंधित संस्थाओं के साथ मिलकर तीव्र गति से कार्य किया जाए। इन कार्यों में एनजीओ तथा महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी जरूर रखी जाए। जनपदों मंे गोबर, गोमूत्र आधारित नवाचार के अंतर्गत गोकास्ठ, गमले, गोधूप, गोदीप, वर्मीकम्पोस्ट एवं बायोगैस इत्यादि का उत्पादन कर गोशालाओं को आर्थिक रूप से स्वावलम्बी बनाया जा रहा है। नाबार्ड के सहयोग से गो आश्रय स्थलों में बाउन्ड्रीवाल, ब्रिकसोलिंग तथा पानी की चरही के निर्माण की कार्य योजना को अमल में लाया जाए।
दुग्ध विकास मंत्री ने कहा कि प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हेतु कृषकांे की भागीदारी बढ़ाये जाने हेतु समय-समय पर प्रशिक्षण जरूर दिया जाए। जिला योजना अंतर्गत तकनीकी निवेश कार्यक्रम के माध्यम से दुग्ध उत्पादकों को उनके पशुओं के स्वास्थ्य एवं नस्ल सुधार करके दुग्ध उत्पादन क्षमता में वृद्धि करने हेतु पीसीडीएफ की पशुआहार निर्माणशालाओं में निर्मित पशुआहार एवं मिनरल मिक्सचर के साथ-साथ दवाओं (डिवर्मिंग, थनैला एवं टिक कन्ट्रोल) का वितरण की कार्यवाही निर्धारित समय में पूरी की जाए। प्रदेश के सभी गो आश्रय स्थलों के आर्थिक स्वावलंबन हेतु कृषि विभाग के सहयोग से वर्मीकम्पोस्ट इकाई स्थापित की जाए। कृषि विभाग द्वारा वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन हेतु केचुएं की आपूर्ति तथा खाद की लाइसेन्सिग व मानकीकरण तथा विपणन की व्यवस्था शीघ्र पूरी कराई जाये।
बैठक में पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग के प्रमुख सचिव के0 रवीन्द्र नायक ने मंत्री जी को आश्वस्त किया कि उनसे प्राप्त निर्देशों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित किया जायेगा और पशुधन विभाग एवं दुग्ध विकास विभाग द्वारा किसानों एवं पशुपालकों के हित में जो भी लक्ष्य निर्धारित किये गये उनको निर्धारित अवधि में पूर्ण कर लिया जाए।
बैठक में पशुधन विभाग के विशेष सचिव श्री देवेन्द्र पाण्डेय, दुग्ध विकास विभाग के विशेष सचिव श्री राम सहाय यादव, दुग्ध आयुक्त राकेश कुमार मिश्र, पशुपालन विभाग के निदेशक (प्रशासन एवं विकास) डा0 जयकेश पाण्डेय, निदेशक (रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र) डा0 योगेन्द्र सिंह पवार, सीईओ एलडीबी डा0 नीरज गुप्ता, संयुक्त निदेशक डा0 पी0के0 सिंह तथा डा0 राम सागर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।