उपजिलाधिकारी के आदेश के बावजूद पट्टे की भूमि की पैमाइश नहीं कर रहा हल्का लेखपाल, हुई शिकायत

* जमीन का पट्टा और कब्जा होने के बावजूद
हुआ था बुलडोजर एक्शन, प्रधान और हल्का लेखपाल पर मिलीभगत का आरोप
हैदरगढ़/बाराबंकी
हैदरगढ़ तहसील के शाहपुर भक्तन गांव का एक मामला सामने आया है, जहाँ पर प्रधान का विरोध करना एक व्यक्ति को इतना महंगा पड़ गया कि पिछले शनिवार को उसके छप्परनुमा झोपड़ी पर बुलडोजर चल गया, हद तो तब होई जब ये सब प्रशासन और पुलिस बल की मौजूदगी मे हो रहा था।पीड़ित कमाल पुत्र खलील ने बताया कि उसके घर को ढहाने से पहले उसको न तो कोई नोटिस दिया गया, न कुछ बताया गया लेकिन बुलडोजर चला दिया गया, आपको बता दें कि शाहपुर भक्तन गांव निवासी कमाल पुत्र वसीम ने उपजिलाधिकारी को लिखित शिकायत देकर बताया कि 2008 मे उपजिलाधिकारी महोदय द्वारा ही पट्टा दिया गया था, जिस पर प्रार्थी का कब्जा था, लेकिन प्रार्थी गरीब और असहाय होने की वजह से पक्का मकान नहीं बना पाया और छप्परनुमा चार कोने पर पिलर बनाकर उसी मकान मे रहने लगा, जिसको ग्राम प्रधान ने 12/4/25 को 4 बजे जेसीबी भेजकर पीड़ित के सामने झोपड़ी को जमींदोज कर दिया था जिसमें प्रार्थी का रखा सारा समान इधर उधर फेंक दिया गया।पीड़ित कमाल ने ये भी आरोप लगाया था कि प्रधान ने 50 हजार रूपये की मांग की थी लेकिन न देने पर झोपड़ी को ढहा दिया गया। कमाल का पट्टा गाटा संख्या 216 मे था लेकिन चकबंदी के बाद उसी गाटा संख्या का क्रमांक 548 हो गया, और पीड़ित को बेदखल कर दिया गया था। पीड़ित कमाल ने कहा कि प्रधानी के चुनाव मे विपक्ष का साथ देने की वजह से पीड़ित को टार्गेट किया जा रहा है। इसलिए पीड़ित ने उपजिलाधिकारी मो. शम्स तबरेज़ खान से शिकायत की थी कि मामले की जांच कर मामले मे हस्तक्षेप किया जाय और प्रधान के खिलाफ आवास निर्माण को छतिग्रस्त करने और रुपये की मांग करने के बदले मे कानूनी कार्यवाही की मांग की थी। इस मामले को लेकर उपजिलाधिकारी हैदरगढ़ मो. शम्स तबरेज़ खान ने हल्का लेखपाल को भूमि की पैमाइश के लिये भी आदेशित किया था लेकिन पीड़ित कमाल का कहना है कि हल्का लेखपाल राजेंद्र यादव मौके पर गये लेकिन उन्होंने ये नहीं बताया कि उनके पट्टे की जमीन कहाँ है?मामले को लेकर 15 अप्रैल 2025 को खलील ने उपजिलाधिकारी से पुनः शिकायत की है।
अब देखना है कि मामला उपजिलाधिकारी के संज्ञान मे जाने के बाद मामले मे हस्तक्षेप कर कुछ कार्यवाही की जायेगी या फिर पीड़ित को अपने ही मकान मे रहने के लिये दर दर की ठोंकरे खाने पर मजबूर होना पड़ेगा ये भविष्य के गर्भ मे है?