महाकुंभ 2025: जूना अखाड़े से निकाले गए IIT वाले बाबा, संतों ने लगाए महंत सोमेश्वर पुरी के अपमान के आरोप
प्रयागराजः प्रयागराज महाकुंभ में IIT वाले बाबा के नाम से चर्चा में आए अभय सिंह को जूना अखाड़े ने निष्काषित कर दिया है. उनके खिलाफ यह कार्रवाई , माता-पिता और गुरु के अपमान पर की गई है.
यह कार्रवाई जूना अखाड़े की अनुशासन समिति ने की है. यह कार्रवाई शनिवार की देर रात पंच परमेश्वर की बैठक के बाद अखाड़े की अनुशासन कमेटी ने की है. अभय सिंह के जूना अखाड़े में प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. यह जानकारी अखाड़े के सचिव हरि गिरि ने दी है.
सोशल मीडिया पर अचानक चर्चा में आएः बता दें कि इन दिनों महाकुंभ में IIT वाले बाबा यानी अभय सिंह सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में बने हुए हैं. पहली बार वह अपनी खास मुस्कान को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा में आए थे. इस बीच उन्होंने अपने कई इंटरव्यू में घर छोड़ने की वजह माता-पिता को बताया था. हरियाणा के झज्जर जिले के रहने वाले अभय के पिता कर्ण सिंह एडवोकेट हैं. अभय ने IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की थी. इसके बाद उन्होंने कनाडा की एक कंपनी में काम भी किया था. इस बीच अचानक वह घर लौटे थे और गायब हो गए थे. इसके बाद वह महाकुंभ में नजर आए.
11 महीने पहले परिवार से दूर हो गएः परिवार के मुताबिक अभय करीब 11 महीने पहले सभी के संपर्क से दूर हो गए. इसके बाद उनका कुछ भी नहीं पता चला था. महाकुंभ से उनका वीडियो वायरल होने के बाद उनके पिता कर्ण सिंह प्रयागराज पहुंचे थे. इस बीच उन्हें पता चला कि अभय सिंह महाकुंभ छोड़कर कही जा चुके हैं.
अभय सिंह के बयान चर्चा में आए: आईआईटी वाले बाबा ने परिवार और माता-पिता के साथ ही गुरु को लेकर कुछ ऐसे बयान दिए जो चर्चा का विषय बन गए हैं. इसे लेकर संतों ने भी आपत्ति जताई. कहा कि माता-पिता और गुरु का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.
क्या कहा था अभय नेः एक चैनल से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी जिंदगी में वैराग्य का भाव उसी समय आने लगा था, जब उन्होंने अपने घर में माता-पिता के बीच झगड़े को देखा. सोचा कि अगर झगड़ा ही करना है, तो फिर शादी क्यों की. इसके अलावा उन्होंने अपने गुरु को लेकर भी अमर्यादित बयान दिए थे.
माता पिता भगवान से बड़े नहीं हो सकतेः इसके अलावा उन्होंने कहा था कि माता-पिता भगवान से बड़े नहीं हो सकते हैं. उनके इस बयान पर जूना अखाड़े ने आपत्ति जताई थी. इसके बाद जूना अखाड़े ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पंडाल छोड़ देने के निर्देश दिए थे. इसके बाद अभय सिंह कहीं चले गए थे. अब जूना अखाड़े ने इस मामले में सख्त एक्शन लेते हुए उन्हें निष्कासित कर दिया. अब वह जूना अखाड़े से जुड़े संत नहीं हैं.
क्या बोले संतः श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के प्रमुख संत हरि गिरि जी महाराज ने ईटीवी भारत को बताया कि अपने गुरु का असम्मान करने और अखाड़े की परंपरा को तोड़ने का हक किसी को भी नहीं है. गुरु, माता–पिता का सम्मान करना अखाड़े की पहली अनिवार्य योग्यता है. यह संन्यास की भी सबसे अनिवार्य योग्यताओं में से एक है. अभय सिंह इस पहली योग्यता में असफल साबित हुए हैं. इस वजह से उन्हें अखाड़े से अनुशासनहीनता और गुरु-शिष्य परंपरा को तोड़ने के आरोप में निष्कासित करा दिया गया है. वह अखाड़े के अनुशासन को तोड़ रहे थे. अभय सिंह गुरु शिष्य परंपरा से परे हटकर काम कर रहे थे. यह संन्यास के सिद्धांतों के खिलाफ है.
अखाड़े में सम्मान पहली योग्यताः संत हरी गिरि ने कहा कि अपने गुरु के प्रति असम्मान का मतलब है कि सनातन धर्म और अखाड़ा की परंपरा के प्रति असम्मान. अखाड़े में अनुशासन ही सर्वोत्तम परंपरा है. अनुशासन और अखाड़े की परंपरा के ऊपर कोई भी नहीं है. मैं भी नहीं. हरी गिरि का कहना है कि अभय सिंह ने अखाड़े की परंपरा को तोड़ा है. अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया है. अपने गुरु को पागल कहा है. पिता को हिरणकश्यप कहा है. यह बर्दाश्त करने योग्य नहीं है.
देर रात बैठक के बाद फैसलाः अखाड़े की अनुशासन कमेटी ने इस पर शनिवार काे बैठक की थी. बैठक के बाद पंच परमेश्वर का फैसला अभय सिंह को अखाड़े से निष्कासित करने को लेकर आया है. अब जबतक अभय सिंह अपने गुरुओं और माता–पिता का सम्मान करना नहीं सीख जाते अखाड़े में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध रहेगा.
अभय सिंह ने किनसे ली थी दीक्षा: जूना अखाड़े के प्रमुख संत महंत हरि गिरि से जब यह सवाल किया गया कि क्या अभय सिंह की दीक्षा हुई थी? इस पर उन्होंने कहा कि वह हमारे अखाड़े के संत महंत सोमेश्वर पुरी जी महराज के शिष्य हैं. उनसे अभय ने दीक्षा ली है. जब अखाड़े से जुड़ा कोई संत किसी को दीक्षा दे देता है तो वह अखाड़े का हो जाता है. 3 साल की परीक्षा के बाद उसे विधि विधान से अखाड़े में शामिल किया जाता है.