उत्तर प्रदेश

श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया गया गुरु गोविंद सिंहजी का प्रकाश पर्व

ललितपुर। सिखों के दसवें गुरुश्री गुरु गोविंद सिंहजी महाराज का प्रकाश पर्व श्रीगुरु सिंह सभा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के तत्वाधान में लक्ष्मीपुरा स्थित गुरुद्वारा साहिब में धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर श्री अखंड पाठ साहिब जी की समाप्ति सरदार अवतार सिंह व मनमोहन सिंह मोनी की ओर से हुई। निशान साहिबजी के चोले की सेवा सरदार कृपाल सिंह व मनमोहन सिंह की ओर से हुई। लंगर की सेवा भी मनमोहन सिंह की ओर से हुई। रात में रहिरास साहिबजी के पाठ उपरांत गुरबाणी कीर्तन लंगर व दूध की सेवा हुई व भव्य आतिशबाजी का प्रदर्शन किया गया। दिल्ली से पधारे ज्ञानी करमजीत सिंह ने अपने जत्थे के साथ गुरबाणी कीर्तन कर संगत को निहाल किया। कहा कि श्रीगुरु गोविंद सिंह सिखों के दसवें गुरु हैं। अध्यक्ष ने कहा कि 1675 को कश्मीरी पंडितों की फरियाद सुनकर श्रीगुरु तेगबहादुर ने दिल्ली के चांदनी चौक में बलिदान दिया। गुरु गोविंद सिंह जी 11 नवंबर 1675 को गुरु गद्दी पर विराजमान हुए। धर्म एवं समाज की रक्षा हेतु ही गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 ई. में खालसा पंथ की स्थापना की। पांच प्यारे बनाकर उन्हें गुरु का दर्जा देकर स्वयं उनके शिष्य बन जाते हैं और कहते हैं-जहां पांच सिख इक_े होंगे, वहीं मैं निवास करूंगा। उन्होंने सभी जातियों के भेद-भाव को समाप्त करके समानता स्थापित की और उनमें आत्म-सम्मान की भावना भी पैदा की। वरिष्ठ उपाध्यक्ष ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह की पत्नियां, माता जीतो, माता सुंदरी और माता साहिब कौर थीं। बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह आपके बड़े साहिबजादे थे जिन्होंने चमकौर के युद्ध में शहादत प्राप्त की थीं। छोटे साहिबजादों में बाबा जोरावर सिंह और फतेह सिंह को सरहंद के नवाब ने जिंदा दीवारों में चुनवा दिया था। युद्ध की दृष्टि से आपने केसगढ़, फतेहगढ़, होलगढ़, अनंदगढ़ और लोहगढ़ के किले बनवाएं। पौंटा साहिब आपकी साहित्यिक गतिविधियों का स्थान था। कोषाध्यक्ष व महामंत्री ने भी संबोधित किया। इस दौरान ओंकार सिंह, हरविंदर सिंह, सुरजीत सिंह, परमजीत सिंह, चरणजीत सिंह, डा.सुरेंद्र कौर, परसन सिंह, गुरचरण सिंह, हरजीत सिंह, मेजर सिंह, गुरमुख सिंह, अवतार सिंह, चरणजीत सिंह, गुरदेव सिंह, तेजवंत सिंह, विजय डयोडिया, रूपनारायण विश्वकर्मा एड., मनोज झा, जिला पंचायत सदस्य अमर विश्वकर्मा घुटारी, आचार्य लक्ष्मी नारायण विश्वकर्मा, जसपाल सिंह पप्पू, विवेक, वीरेंद्र सिंह बीके, गोपी डोनडवानी, जसपाल सिंह बंटी, रामलीला हनुमान जयंती समिति के अध्यक्ष पं.बृजेश चतुर्वेदी, चंद्रशेखर राठौर, मुन्नालाल त्यागी, मनिंदर सिंह ,आनंद सिंह, गौरव सिंह, कुलजीत सिंह, सुरजीत, डा.जेएस बक्शी, नीटू कालरा, बलजीत सिंह, बिंदु कालरा, पूनम मलिक, डा.हरजीत कौर, मनजीत कौर आदि उपस्थित रहे।

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