उत्तर प्रदेश

बाल श्रम से मुक्त कराये गये बच्चों व उनके परिवारों को मिलेगा शासन की योजनाओं का लाभ

जिलाधिकारी ललितपुर द्वारा ‘‘बाल श्रम रोको अभियान‘‘ के तहत कार्य से अवमुक्त किशोर श्रमिक व उनके परिवारों से सम्पर्क कर सूचना एकत्रित की जा रही है कि किन परिस्थियों में उनके द्वारा मजदूरी में बाल श्रम किया गया, जनपद के 24 जिला स्तरीय अधिकारी घर-घर जाकर बाल श्रम से मुक्त कराये गये बच्चों के परिवारों से सम्पर्क कर उनकी आर्थिक स्थिति, राशन कार्ड की स्थिति, आवास योजना का लाभ, आजीविका का साधन, बच्चे की शिक्षा में आ रही आर्थिक कठिनाईयों की जानकारी एवं शासन द्वारा संचालित योजनाओं के लाभ की जानकारी एकत्रित की जा रही है। जिलाधिकारी के आदेशानुसार जनपद के जिलास्तरीय अधिकारियों द्वारा व्यक्तिगत रूप से घर-घर जाकर सम्पर्क कर जानकारी एकत्रित की जा रही है।

श्रम विभाग एवं संयुक्त टीम द्वारा निरंतर बाल/किशोर श्रमिकों के नियोजन की सम्भावना वाले व्यवसायों तथा होटलों, ढाबों, आटोमोबाइल्स, गैरिजों, दुकानों आदि में नियोजित बाल/किशोर श्रमिकों के चिन्हांकन हेतु विशेष ‘‘बाल श्रम चिन्हांकन अभियान‘‘ चलाया जाता है जिसके उपरान्त नियोजित बाल श्रमिकों को कार्य से अवमुक्त कराया जाता है व सेवायोजकों के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही की जाती है, परन्तु अवमुक्त कराने के उपरान्त चिन्हित बाल श्रमिकों के परिवार की समस्याओं की जानकारी नहीं हो पाती थी की किस कारण वह मजबूरी में बाल श्रम करते हैं।

जिलाधिकारी महोदय द्वारा जनपद के समस्त सेवायोजकों/दुकानदारों को चेतावनी दी गयी कि शासन द्वारा निर्धारित न्यून्तम मजदूरी अधिनियम 1948 के अन्तर्गत 74 विशेष कार्याें हेतु जारी मजदूरी दर यथा कुशल श्रमिक-13,186/-रू0, अर्द्धकुशल श्रमिक-11,772/-रू0, अकुशल श्रमिक-10,701/-रू0 प्रतिमाह दिये जाने का प्रावधान है, जबकि प्रकाश में आया है कि सेवायोजकों/दुकानदारों द्वारा न्यून्तम मजदूरी श्रमिकों को नहीं दी जा रही है जिलाधिकारी महोदय द्वारा निर्देशित किया गया कि इससे कम वेतन भुगतान किये जाने पर चालानी कार्यवाही की जाये और 10 गुना वसूली की कार्यवाही की जाये। श्रम प्रवर्तन अधिकारी डी0पी0 अग्रहरि को निर्देशित किया गया कि जनपद को बाल श्रम मुक्त कराये जाने हेतु निरंतर प्रयास किये जायें एवं बाल कानून का उल्लंघन करने पर सम्बन्धित सेवायोजकों/दुकानदारों के विरूद्ध नोटिस भेजने के उपरान्त प्राभियोजन दायर करने की कार्यवाही की जायेगी, यह कार्य निरन्तर किया जायेगा और शासन के आदेशानुसार प्रत्येक माह कार्यवाही की जाये। जिसमें 20,000/- से 70,000/- तक जुर्माना व 6 माह से 02 साल तक की सजा अथवा दोनो का प्रावधान है।

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