चंडीगढ़। पीजीआई के वायरोलॉजी विभाग की डॉ. प्रियंका ठाकुर को डेंगू के मरीजों पर किए गए शोध पर यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड मिला है। उन्हें यह पुरस्कार ग्वालियर में आयोजित भारतीय वायरोलॉजिकल सोसाइटी के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन विरोकॉन 2024 में दिया गया।
डॉ. प्रियंका ठाकुर को डेंगू के मरीजों की गंभीरता में वायरस प्रतिकृति और साइटोकिन स्टॉर्म के बीच जीन मार्कर की भूमिका पर किए गए शोध कार्य के लिए यह सम्मान मिला। प्रियंका ने बताया कि डेंगू एक स्व-सीमित अरबोवायरल संक्रमण है। वायरस का संक्रमण तब तक जारी रहता है, जब तक दिसंबर के पहले या दूसरे सप्ताह के बीच वायुमंडलीय तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं चला जाता। कम वायुमंडल तापमान के कारण मच्छरों का प्रजनन न्यूनतम स्तर पर आ जाता है, जिससे इसका संक्रमण रुक जाता है। उनकी ओर से किए गए अध्ययन से यह पता चला है कि गंभीर डेंगू मामलों में एनएलआरपी-3 इन्फ्लेमेसोम जीन और ऑटोफेगी जीन का महत्वपूर्ण अपरेगुलेशन था, जिससे डेंगू रोग को बढ़ाने के कारणों को समझने की राह आसान हुई। इसकी मदद से इन-विट्रो प्रयोग से डेंगू के गंभीर मरीजों में देखे गए संभावित साइटोकिनिन स्टॉर्म को दूर करने में मदद मिली।